लखनऊ, 26 जनवरी (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा है कि आधार कार्ड में दिये गये नाम, लिंग, पता और जन्मतिथि को इन तथ्यों का ठोस सबूत नहीं माना जा सकता। साथ ही, आपराधिक मामलों की जांच में संदेह होने पर इनकी पड़ताल की जा सकती है। न्यायमूर्ति अजय लाम्बा और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने हाल में दिये गये एक फैसले में कहा कि साक्ष्य अधिनियम के तहत यह नहीं कहा जा सकता कि आधार कार्ड में दिये गये नाम, पता, लिंग और जन्मतिथि का विवरण उनके सही होने का ठोस सबूत है। इस विवरण पर अगर सवाल उठता है और खासतौर आपराधिक मामलों की जांच के दौरान जरूरत पड़ने पर इनकी पड़ताल की जा सकती है। अदालत ने बहराइच के सुजौली थाना में दर्ज एक मामले की वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में यह आदेश दिया था। -वेब
आधार में दिया गये नाम, पते को ठोस सबूत नहीं माना उच्च न्यायालय ने
January 27, 2019
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