लखनऊ

पुराना लखनऊ बना था गणतंत्र दिवस की खुशियों का गवाह


लखनऊ । गणतंत्र दिवस की खुशियों का गवाह पुराना लखनऊ आजादी के बाद से अलग रंग और जोश में था। सुबह होने से पहले ही प्रभात फेरियों से गूंजते पुराने लखनऊ ने पूरे देश को पूर्ण आजादी के जज्बे का संदेश दिया। अंग्रेजों की निशानी हुसैनाबाद घंटाघर के ऊपर और रूमी गेट पर तिरंगे के नीचे हजारों लोग खुली हवा में सांस ले रहे थे। पहली 26 जनवरी 1950 लखनऊ की यादगार सुबह थी। इतिहासकार रोशन तकी बताते हैं कि अंग्रेजों की गुलामी से पूरी तरह आजाद होने का जश्न दो महीने पूर्व 26 नवंबर 1949 को पारित संविधान के साथ ही शुरू हो गया था। 26 जनवरी 1950 को चौक, नक्खास और अमीनाबाद में रतजगा के साथ प्रभात फेरियों का दौर था।
इतिहासकारों की मानें तो 15 अगस्त 1947 में आजादी के दौरान बंटवारे का दर्द पूरे देश को समेटे था लेकिन लखनऊ एक ऐसा शहर था जहां से कोई जाना नहीं चाहता था, फिर भी जश्न में एक खामोशी थी। मगर 26 जनवरी 1950 के दिन इस दर्द को मिटाकर जो जोश दिखा उसे लखनऊ भुला नहीं सकता। यहां आने वालों को गले लगाने के साथ उन्हें आश्रय देने का काम भी हुआ। -वेब

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