यूपी। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने मूर्तियों पर पैसे खर्च करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के जवाब में आज हलफनामा दाखिल किया है. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि मेरी मूर्तियां जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं. मायावती ने हलफनामे में कहा है कि मूर्तियों का निर्माण राज्य विधानसभा में पर्याप्त चर्चा के बाद बजट आवंटित करके किया गया था. कोर्ट विधायकों द्वारा बजट के संबंध में लिए गए निर्णयों पर सवाल नहीं कर सकता.
मायावती ने यह भी कहा कि मूर्तियां जनता की इच्छा को दर्शाती हैं, जनादेश को दर्शाती हैं. विधानसभा के विधायक चाहते थे कि कांशी राम और दलित महिला के रूप में मायावती के संघर्षों को दर्शाने के लिए मूर्तियां स्थापित की जाएं. मायावती ने हलफनामे में कहा है कि अन्य राजनीतिक पार्टियां भी राजनेताओं की मूर्तियां बनवाती हैं. यह उन राजनेताओं के प्रति चाह और समर्थन को दर्शाता है.
हाथियों की मूर्तियों पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सफाई दी कि हाथी केवल बसपा का प्रतिनिधित्व नहीं करते. वे भारतीय पारंपरिक कलाकृतियों के चिन्ह हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि सुप्रीमो मायावती ने अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनाने में जितना जनता का पैसा खर्च किया है, उसे वापस करना चाहिए. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में दायर रविकांत और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च सभी पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए. -वेब