लखनऊ

शहर में अवैध टावरों पर कोई कार्यवाही नहीं

लखनऊ। शहर में छतों पर कितने जानलेवा मोबाइल टावर लगे हैं, इसकी जिम्मेदारी देखने वाले दो प्रमुख विभागों- एलडीए और नगर निगम के पास इसका कोई डेटा तक नहीं है। यहां तक कि जिला प्रशासन भी इस तरह के टावरों से अनजान बनने की बात कर रहा है। अधिकारियों को इस तरह के टावर के बारे में जानकारी नहीं है। नगर निगम इन टावरों के जरिए हर साल लाखों कमाने वाले मकान मालिकों से कमर्शल टैक्स भी पूरी तरह से नहीं वसूलता। नगर निगम के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, शनिवार देर रात आई आंधी में जिस घर का टावर गिरा, उससे भी घरेलू दर पर हाउस टैक्स लिया जा रहा था, हालांकि कोर्ट से स्टे के कारण पिछले चार साल से टावर का काम अधूरा पड़ा था।
शहर में लगने वाली कितनी होर्डिंगों और टावर हैं और इसके लिए क्या टैक्स लिया जाना है, इसकी जिम्मेदारी नगर निगम प्रचार विभाग की है, लेकिन छतों पर टावर लगवाने वाले मकान मालिकों से कमर्शल हाउस टैक्स नहीं लिया जा रहा। नगर निगम प्रचार विभाग के इंचार्ज अशोक सिंह के मुताबिक, तीन महीने पहले ऐसे मकान मालिकों से कमर्शल टैक्स लेने की बात हुई थी, लेकिन अब भी किसी के कमर्शल दर पर हाउस टैक्स नहीं लिया जा रहा। -वेब

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