आमतौर पर सिगरेट पीने वाले और धुएं के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों को धूम्रपान के दुष्प्रभाव का सामना करने वालों की श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन अब नुकसान का यह दायरा बढ़ गया है। सिगरेट की राख और फेंके गए बड में भी खतरनाक केमिकल होने की पुष्टि हुई है।
धूम्रपान न करने वाले लोग यह सोचकर संतोष कर सकते हैं कि वह भारत में तंबाकू का सेवन करने वाले करोड़ों लोगों में शामिल नहीं हैं। उन्हें यह बात भी तसल्ली दे सकती है कि वह धूम्रपान करने वालों के आसपास नहीं बैठते इसलिए परोक्ष रूप से धुएं के संपर्क में आकर हर साल जान गंवाने वाले लाखों पैसिव स्मोकर्स में भी वे शुमार नहीं हैं। लेकिन उन्हें यह बात परेशान कर सकती है कि वह थर्ड हैंड स्मोकिंग के खतरे में हो सकते हैं क्योंकि सिगरेट पीने के घंटों बाद भी वातावरण में सिगरेट के अवशेष रह जाते हैं जिसमें 250 से ज्यादा जानलेवा रसायन होते हैं।
श्री बालाजी ऐक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट में सीनियर कंसलटेंट, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, डॉ ज्ञानदीप मंगल बताते हैं कि एक अनुमान के अनुसार 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रॉन्काइटिस, इन्फिसिमा और 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है। भारत में जितनी तेजी से धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन किया जा रहा है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर साल तंबाकू सेवन के कारण कितनी जानें खतरे में हैं। तंबाकू पीने का जितना नुकसान है उससे कहीं ज्यादा नुकसान इसे चबाने से होता है। तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड और टार जैसे जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं और यह सभी पदार्थ जानलेवा हैं। -वेब