नई दिल्ली। सैटेलाइट, जासूसी एयरक्राफ्ट, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और जमीन पर मौजूद सैनिक मिलकर भारतीय वायुसेना के विमान एएन 32 को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक अरुणाचल प्रदेश के घने जंगली इलाकों में इसका कुछ पता नहीं चल सका है। माना जा रहा है कि विमान अलोंग-पायूम-तातो के संभावित दुर्घटना क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इस विमान में आधुनिक रडार या आपातकालीन लोकेटर ट्रांसमीटर नहीं है। यह एएन-32 विमान का वह मॉडल है जिसे अपग्रेड नहीं किया गया था। संभावित दुर्घटना क्षेत्र की गणना इसके आखिरी रडार और रेडियो संपर्क के जरिए की गई है। यह क्षेत्र चीन के पश्चिम सियांग जिले की सीमा के नजदीक है। अरुणाचल प्रदेश के गृहमंत्री बामांग फेलिक्स ने कहा, श्हमने पांच जिलों के नागरिक और पुलिस प्रशासन को लगाया है। हमने स्थानीय लोगों से खोजी अभियान में शामिल होने की अपील की है। जिस संभावित क्षेत्र से विमान गायब हुआ है वह घने जगंलों वाला और पहुंच से बाहर है। मौसम भी खराब है। हमें कोई खबर मिलने की उम्मीद है।श्
उत्तर पूर्वी इलाका अमूमन बादलों से घिरा रहता है। रिसैट सैटेलाइट बादलों के बीच से आसानी से देख सकती है और क्षेत्र को स्कैन करके विमान के मलबे का पता लगा सकती है। रीसैट को खोजी अभियान के लिए चुना गया है। यह सैटेलाइट दिन और रात में काम कर सकती है और इसका एक्स बैंड सिनेथिक अपर्चर रडार किसी चीज के रिसोल्यूशन को एक मीटर तक जूम कर सकता है। जिससे यह धरती की किसी भी वस्तु की साफ तस्वीर भेज सकती है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक सूत्र ने कहा, सैटेलाइट किसी वस्तु की दिन में दो से तीन बार तस्वीर ले सकती है। हालांकि इस सैटेलाइट की एक ही कमजोरी है कि यह घने वृक्षों के बीच में नहीं देख सकती है। यदि विमान का मलबा खुली पहाड़ियों पर होगा तो वह आसानी से इसका पता लगा लेगी। सैटेलाइट के अलावा सुरक्षाबलों की तैनाती, जासूसी ड्रोन और वायुसेना और नौसेना के टोही विमानों को भी खोज में लगाया गया है। -वेब
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