नई दिल्ली। बिहार में चमकी बुखार (एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) से अबतक 129 बच्चों की मौत हो गई है. इसमें सिर्फ मुजफ्फरपुर में 108 बच्चों की मौत हुई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य राज्य मंत्री और आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर के अस्पताल का दौरा कर चुके हैं। इस बीमारी की बड़ी वजहों में तेज गर्मी, कुपोषण और जागरूकता की कमी है. इस बीमारी की इलाज के लिए लोगों को उचित संसाधन भी जिले के अस्पतालों में नहीं मिल रहा है. इससे भी समस्या गंभीर होती जा रही है.
एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) शरीर के नर्वस सिस्टम पर सीधा असर करता है. तेज बुखार के साथ इसकी शुरुआत होती है. इसके बाद यह बुखार शरीर के न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर असर करता है जिससे शरीर में छटपटाहट और मानसिक असंतुलन तक की स्थिति बन जाती है. यह बीमारी अमूमन मानसून के समय (जून से अक्टूबर) के महीने में ही होती है. हालांकि, अप्रैल और जून के महीने में भी इसे देखा गया है.
एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) तेज गर्मी और कुपोषण की समस्या वाले बच्चों में तेजी से फैलता है. इस बीमारी के बारे में लोगों को यहां जागरूकता भी कम है. हालांकि, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) को लेकर मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के जिलों में जागरूकता अभियान चलाया गया था. हालांकि, यहां के लोगों ने इस तरह के किसी भी जागरूकता अभियान से इनकार किया है. जानकारों के कारण अत्यधिक गर्मी में अगर बच्चों को फुल बाजू के कपड़े, धूप में निकलने से मना किया जाएगा तो इससे इसके होने की संभावना कम हो जाती है. जिले के प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स में संसाधनों की घोर कमी है. जिला अस्पतालों में भी जितने मरीज पहुंच रहे हैं उस अनुसार डॉक्टर और संसाधन नहीं हैं. इस कारण भी समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है. -वेब