लखनऊ। पुलिस को मिले सुराग इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि उपद्रवी बांग्लादेशी थे। दरअसल, लखनऊ पुलिस को हिंसा के बाद पांच मोबाइल फोन मिले हैं। जिनमें बांग्ला भाषा में संदेशों का आदान-प्रदान किया गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि ये उपद्रवी बांग्लादेशी हैं। जो हिंसा फैलाने के मकसद से ही यहां इकट्ठा हुए थे। मामले की जांच की जा रही है।
बृहस्पतिवार को लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी। दंगाइयों ने बस, कारें व दोपहिया वाहनों में आग लगाने के साथ ही पुलिस चैकियां जला डाली। एहतियात के तौर पर शनिवार दोपहर तक के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
पुलिस ने एहतियातन केडी सिंह बाबू स्टेडियम मेट्रो स्टेशन को बंद कर आसपास बैरीकेडिंग कर दी थी, लेकिन फोर्स पर्याप्त नहीं थी। पुलिस का पूरा फोकस मुस्लिम बहुल पुराने लखनऊ पर था। वहां इमामबाड़ा और घंटाघर के आसपास भीड़ न जुटे, इसके कड़े प्रबंध किए गए थे। लेकिन परिवर्तन चैक पर हजरतगंज की ओर से बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी आ गए। ये प्रदर्शनकारी हजरतगंज और कैसरबाग की ओर से परिवर्तन चैक पहुंचे थे।
खदरे में भी पुलिस प्रबंधन पर्याप्त नहीं था। इंटेलीजेंस इनपुट भी नहीं मिला था। बवाल करने वाले ठेलों पर पत्थर लादकर लाए थे। इसकी भनक न तो व्हाट्स एप वालंटियर को हो सकी और न ही पुलिस के खुफिया तंत्र को। धारा 144 को लेकर पुलिस ने जो तैयारियां की थीं और संदेश वायरल करने वालों पर कार्रवाई की बात कही थी, उसका जरा भी असर नहीं दिखा। -वेब