लखनऊ

सरकारी अस्पतालों में चल रहा है गोरख धंधा

लखनऊ के चिकित्सा संस्थानों में आने वाले मरीजों पर अपना जाल डालने के लिए निजी अस्पताल संचालकों की नजरें लगी रहती हैं। इमरजेंसी मेें आने वाले मरीज को निजी अस्पताल भेजने का सौदा पांच हजार से 20 हजार रुपये तक में होता है।
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के बाहर मौजूद एंबुलेंस चालकों से बात की गई। खुद को निजी अस्पताल का संचालक बताकर मरीज ले आने का लालच देने पर एंबुलेंस चालकों ने बताया कि ट्रॉमा से निजी अस्पताल मरीज पहुंचाने की एवज में चालक को एक हजार रुपये मिलते हैं।
एंबुलेंस चालकों ने यह भी बताया कि मरीज के तीमारदार डॉक्टर की बात आसानी से समझता है। जिस अस्पताल का नाम डॉक्टर ले लेता है, वहां जाने के लिए वह तैयार हो जाता है। ऐसे में डॉक्टर पांच हजार रुपया तत्काल लेता है। मरीज का इलाज लंबा चलता है और उसके तीमारदार देने की हैसियत में हैं तो यह भाव 20 हजार तक पहुंच जाता है।
सूत्रों का कहना है कि निजी अस्पताल संचालकों की पहुंच कर्मचारी से लेकर डॉक्टर तक से होती है। वे इस बात पर भी निगाह रखते हैं कि संबंधित सीजन में किस विभाग में ज्यादा मरीज आ रहे हैं। उसी हिसाब से रेजीडेंटों पर चारा डालते हैं। संबंधित विभाग के नर्सिंग स्टाफ व अन्य कर्मचारी निजी अस्पताल संचालक व रेजीडेंट के बीच धुरी का काम करते हैं। -वेब

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