लखनऊ। धारा 144 लगी हई है, एक साथ एकत्रित न हो, हर आधे घंटे में हाथ धो, लोगों से न मिलो, पार्टी न करो, बाहर मत निकलो, जरूरी हो तभी निकलो आदि ये सारे नियम सिर्फ और सिर्फ पब्लिक के लिए हैं। इनके लिए कोई नियम नहीं है।
सारी दुनिया जब एक घटिया चीनी वायरस का प्रकोप झेलने को अभिशप्त है, तब ये सलाहें बहुत काम की हैं। हम यह कर ले जाएं तो कोरोना को रोना आ जाए। लोग कर भी रहे हैं। सरकार की सुन रहे हैं, दिल-दिमाग की मान रहे हैं। होली जैसा बड़ा सामाजिक पर्व सूना ही निकल गया। आठों का मेला बिना रौनक लगाए चला गया। लोग एक दूसरे के घर जाने से ऐसे बचे कि घरों में गुजिया, पापड़ भी बच गए। चैतरफा ज्ञान झरने लगा और जिस बीमारी का फिलहाल कोई इलाज नहीं, उसके सैकड़ों साल पुराने नुस्खे मोबाइल पर तैरने लगे। फिर भी यह सारा ज्ञान सामान्य लोगों के लिए ही था क्योंकि कनिका की लखनऊ में हुई धुआंधार पार्टियों ने कुलीनों की कलई उतार दी। सीएम से लेकर पीएम तक जब चिंता जता रहे हैं, एकांतवास का परामर्श दे रहे हैं और लोग उनकी मान रहे हैं, तब ऐसे में मंत्रियों और अफसरों की इन पार्टियों में भागीदारी ने यह साबित कर दिया कि वे व्यवस्था और कानून को ठेंगे पर रखते हैं।
मौजूदा तो गए ही, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सांसद पुत्र के साथ पार्टियों में पहुंच गईं। उन्हें क्या कोरोना संहिता नहीं बताई गई थी। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह जब पार्टियों में पहुंचे तो क्या नहीं जानते थे कि भीड़ जमा न होने देने का नियम उन पर भी लागू होता है। दल, जाति और धर्म निरपेक्ष इन पार्टियों की विचारधारा समान थी। होटल से लेकर करोड़ों के रिहायशी ठिकानों तक ऐसा एक नंदन कानन बसा था जहां उमंग थी, उत्सव और उल्लास था। जैसे बड़े लेखकों की किताबें कुछ घरों की कुछ अल्मारियों में शोभा पाती हैं, वैसे ही कोरोना इन पार्टियों में बहस में तो आया, भय न पैदा कर सका।
लखनऊ से कानपुर और दिल्ली तक अगर दहशत व्यापी है तो कारण केवल एक है कि कथित कुलीन वर्ग अपने को बाकी लोगों से दो अंगुल ऊपर मानता है। आम लोगों की परेशानियां उसके लिए मौखिक जुगाली से अधिक नहीं। लखनऊ अगर अब सन्नाटे में है तो इसी आभिजात्य वर्ग के कारण। रोज की दाल, रोटी, सब्जी और दवा चिंताएं उसके लिए नहीं। वह अब भी दुबला हो रहा है तो केवल इस चिंता में कि कहीं उसे संक्रमण तो नहीं हो गया। उसके कारण लाखों लोग हलकान हो गए हैं, यह उसकी रुचि का विषय ही नहीं। – वेब