आयुष मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि पतंजलि कंपनी ने जो दावा किया है उसके फैक्ट और साइंटिफिक स्टडी को लेकर मंत्रालय के पास कोई जानकारी ही नहीं पहुंची है. इसके बाद पतंजलि की तरफ से बताया गया कि कम्युनिकेशन गैप था, वो अब दूर हो गया है. यानी सरकार के पास दवा से जुड़ी अहम जानकारी ही नहीं थी.
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का जो काम अब तक पूरी दुनिया नहीं कर सकी है, उसे बना लेने का दावा बाबा रामदेव ने किया है. बाबा रामदेव ने मंगलवार को ऐलान किया कि पतंजलि ने कोरोना वायरस को हराने वाली दवा बना ली है, जो एक हफ्ते के अंदर मरीजों को पूरी तरह ठीक कर देगी. बाबा इसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं, लेकिन सरकार को उनकी ये बात रास नहीं आई और अब मामला विवाद की वजह बन गया.
बाबा रामदेव ने 23 जून की दोपहर 1 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का ऐलान किया कि पतंजलि कोरोना वायरस मरीजों को ठीक करने वाली ’कोरोनिलश् दवा बनाने में कामयाब हो गई है. बाबा रामदेव का यह ऐलान सभी टीवी चैनलों पर लाइव चला. केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय को जैसे ही इस बात की खबर मिली उसने स्वतरू संज्ञान लेते हुए इस दवा के प्रचार पर रोक लगा दी, साथ ही पतंजलि से आवश्यक जानकारी भी मांगी.
आयुष मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि पतंजलि कंपनी ने जो दावा किया है उसके फैक्ट और साइंटिफिक स्टडी को लेकर मंत्रालय के पास कोई जानकारी ही नहीं पहुंची है. मंत्रालय ने पतंजलि से ये तक कहा कि इस तरह का प्रचार करना कि इस दवाई से कोरोना का 100 प्रतिशत इलाज होता है, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून 1954 का उल्लंघन है. आयुष मंत्रालय की इस प्रतिक्रिया से मामले ने तूल पकड़ा तो पतंजलि की तरफ से बताया गया कि ’कम्युनिकेशन गैप था, वो अब दूर हो गया है.’ ये कहते हुए पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट ने मंगलवार शाम ही आयुष मंत्रालय को एक पत्र भेजकर दवा से जुड़ी सभी जानकारी देने का दावा किया. -वेब