नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने कम आय वर्ग तथा मध्यम वर्ग के लोगों की कमाई घटाने के साथ ही उन पर कर्ज का बोझ लाद दिया है। करीब तीन चैथाई लोगों की या तो नौकरी चली गई या रोजगार छिन गया है अगर दूसरी भाषा में बात करें तो वे पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। 40 फीसदी परिवारों को कर्ज लेना पड़ रहा है। वहीं, दो तिहाई लोग काम की तलाश में घर नहीं छोड़ना चाहते हैं। सरकारी मदद केवल निम्न वर्ग के लोगों को मिल रही है लेकिन वो इतनी नहीं की जरूरतें पूरी कर पाए। मध्यम वर्ग परिवार कर्ज लेने को मजबूर है और सरकार भी उन्हें कर्ज देकर और ज्यादा बोझ उन पर लाद रही है।
ग्लोबल कंस्लटिंग कंपनी डालबर्ग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। देशभर में 5 अप्रैल से 3 जून के बीच करीब 47 हजार लोगों से राय ली गई। लोगों ने बताया कि मार्च के बाद आमदनी 60ः तक घटी है। मार्च में जो लोग 10 रुपए कमा पाते थे वो अप्रैल और मई में 4 से साढे 4 हजार कमा पा रहे हैं। 23 फीसदी परिवारों को मई महीने के दौरान कोई आय ही नहीं हुई।
संकट की घड़ी में सार्वजनिक वितरण प्रणाली बड़ा सहारा बनी। अप्रैल में 50 प्रतिशत परिवारों तक जबकि जून में 91 पर्सेंट लोगों को मुफ्त राशन मिलने लगा था। कैश ट्रांसफर की रकम भी खाते में पहुंचने लगी। कुल मिलाकर 84 पर्सेंट लोग सरकारी प्रयासों से संतुष्ट दिखे। – वेब