लखनऊ। ये कोई स्वास्थ्य कार्यकर्ता नहीं हैं। न ही कब्रिस्तान में काम करते हैं। पीपीई कोट पहनकर कब्रिस्तान में गड्ढा खोदकर शव दफनाने वाले ये वे लोग हैं जो कोरोना से मरने वाले मरीजों के शव दफना रहे हैं। उन कोरोना मरीजों के शव, जिनके परिजनों ने मरने के बाद कोरोना वायरस के डर से उनके शव लेने से इनकार कर दिए। ऐसे आठ शवों को दफनाया गया।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में दो मौलाना और पुराने लखनऊ के दस लोग कब्रिस्तान पहुंचते हैं। वे कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों के शव दफनाते हैं। अब तक वे आठ लोगों के शव दफना चुके हैं, जिनके घरवाले उन्हें कोरोना का डर से दफनाने नहीं आए।
नेक काम कर रहे इमदाद इमाम ने बताया कि उन लोगों शवों के साथ एक ही रिश्ता है, वह है इंसानियत का। उन्होंने बताया कि पहला लावारिस शव उन लोगों ने महिला का दफनाया था। महिला दुबग्गा की रहने वाली थी। एक महीने पहले उसकी मौत एक प्राइवेट अस्पताल में हुई थी। उन लोगों को उसकी जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से मिली थी। -वेब