लखनऊ। एसजीपीजीआई के आसपास जालसाज सक्रिय हो गए हैं। ये मरीजों और तीमारदारों को सस्ती दर पर और जल्द जांच रिपोर्ट देने का हवाला देकर रुपये ऐंठते हैं और कुछ समय बाद स्कैनर से हूबहू पीजीआई की लैब की रिपोर्ट की तरह जाली रिपोर्ट बनाकर दे देते हैं।
एसजीपीजीआई में इलाज कराने प्रदेश के विभिन्न जिलों से मरीज आते हैं। यहां मरीज और तीमारदार की जांच रिपोर्ट होने के बाद ही अंदर जाने दिया जा रहा है। कोरोना काल को देखते हुए यह नियम बनाया गया है कि जिन तीमारदारों के पास जांच रिपोर्ट होगी, उन्हें ही वार्ड में जाने दिया जाएगा।
ये मरीज व तीमारदार आसपास के गेस्ट हाउस में रुकते हैं। इनका फायदा ये जालसाज उठा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों कई ऐसी रिपोर्ट पाई गईं, जो हूबहू पीजीआई की माइक्रोबायोलॉजी लैब की तरह थी, लेकिन उस पर दर्ज केस आईडी का मिलान किया गया तो पता चला कि संबंधित सैंपल जमा ही नहीं हुआ है। इसी तरह कुछ मरीज रुपये जमा होने का पर्चा लेकर पीजीआई आए और अपनी रिपोर्ट मांगने लगे। जब मिलान किया गया तो पता चला कि उन्हें फर्जी रसीद थमाई गई है। लगातार आ रहे इन मामलों को देखते हुए सिक्योरिटी कमेटी के चेयरमैन प्रो. एसपी अंबेश ने शुक्रवार को पीजीआई थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने मरीज व तीमारदार से पूछताछ के बाद जांच शुरू कर दी है।
सूत्र बताते हैं कि इस खेल में लगे जालसाज एसजीपीजीआई से जारी होने वाली कोरोना पॉजिटिव और निगेटिव की रिपोर्ट इकट्ठा करते हैं। फिर स्कैनर के सहारे मरीज का विवरण दर्ज करते हैं। निगेटिव वाली सीरीज के आधार पर ही केस आईडी दर्ज कर देते हैं। यह काम इतनी सफाई से होता है कि रिपोर्ट देखने के बाद सामान्य व्यक्ति पकड़ ही नहीं सकता है। -वेब
पीजीआई में कोरोना के नाम पर चल रहा है गोरखधंधा
