अनंतकाल से ही सच्चे गुरु योग्य शिष्य को उचित मार्गदर्शन देते रहें हैं परंतु आज की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि ऐसे महापुरुष कहीं विलुप्त से हो गए हैं। हम अपनी समस्याओं में इतना उलझ गए हैं कि उत्तर हमारे सामने होता है और हम प्रश्न लिए फिरते रहते हैं।
अनेकानेक साधक आध्यात्मिक मार्ग पर चल तो देते हैं परंतु योग्य गुरु के अभाव में वे पद से भ्रमित हो जाते हैं। अनेक वर्ष पूर्व श्री साईंबाबा ने शिर्डी में अवतार ले भ्रमित और आतंकित मानवों को उचित मार्गदर्शन दिया। उनकी शिक्षायें यही थीं कि जन-जन से प्यार करो और हर किसी में ईश्वर के दर्शन करो। बाबा ने अपने जीवनकाल में हिंदू-मुस्लिम एकता पर विशेष जोर दिया। यही कारण है कि आज शिर्डी सभी धर्मों के लिए पूजनीय स्थल है।
अनेकानेक निंदा और प्रशंसा महापुरुषों के जीवन में लगी ही रहती है परंतु वे सदा उससे अलग रहते हैं। वे इस जग रूपी कीचड़ में कमल की भांति खिलते हैं। वर्तमान समय में श्री साईंबाबा की दिव्य शिक्षाओं को जन-जन तक प्रसारित करने और उनमें प्रेम, मानवता, भाईचारा के साथ ही सबूरी का पाठ पढ़ाने का बीड़ा श्री साईंबाबा के एक युवा भक्त ने उठाया है जिनका नाम है श्री साई आदित्य जिन्हें प्यार से सभी श्रीजी कहते हैं।
उनकी उम्र मात्र 22 वर्ष की है और इस उम्र में ही वे जन-जन तक श्री साईंबाबा के संदेश को पहुंचाने का कार्य बड़ी ही गंभीरता से कर रहे हैं।
ऐसे अनेकों संत होंगे जो गृह त्याग कर तथा भगवा वस्त्र धारण कर सन्यास का उपदेश देते हैं परंतु श्रीजी का मानना है कि संसार में रहकर जन-जन की सेवा करते हुए ईश्वर की भक्ति करना सबसे उत्तम साधन है। यह ठीक उसी तरह है जैसे किसी खुशी के मौके पर हम अपने प्रियजनों को भोज कराते हैं। जब भोज सबके साथ खाया जाता है तो उसमें एक विशेष तरह का स्वाद आ जाता है। ठीक इसी प्रकार स्वयं ईश्वर को प्राप्त कर जब मनुष्य दूसरों के कल्याण के लिए प्रयत्न करता है तब भले ही उसमें कितनी भी अड़चनें क्यों ना आयें परंतु वह ईश्वर का विशेष प्रेम प्राप्त करता है।
वैसे तो बचपन से ही ईश्वर की अनंत कृपा श्रीजी के साथ थी परंतु सन 2010 से श्री साईंबाबा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात उन्होंने जन-जन के कल्याण का संकल्प लिया। वे उस समय स्कूल में थे। स्कूल के पश्चात कॉलेज और सन 2015 में उन्होंने और सक्रिय रूप से बाबा की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना शुरू कर दिया। लौकिक तथा आध्यात्मिक दोनों क्षेत्र में श्रीजी सबके लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। सन 2017 में श्रीजी के जीवन पर आधारित दिव्य ग्रंथ अटूट संबंध का लोकार्पण सितंबर महीने में हुआ। इसके पश्चात सन् 2018 में जन-जन में जागृति लाने हेतु गुरुपूर्णिमा के पवित्र दिन श्री साई बाबा की प्रेरणा से श्रीजी ने चैतन्य शक्ति जागरण द्वारा बाबा का प्रेम और करुणा सौभाग्यशाली भक्तो तक पहुंचाया जिसमें अब तक अनेक लोग जुड़ चुके हैं।
“चैतन्य शक्ति जागरण” एक आध्यात्मिक उपचारात्मक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम स्वयं को तथा समाज को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ कर सकते हैं। यह प्रक्रिया हमारे शरीर में विद्यमान सातों चक्रों को शुद्ध करती है जिसके द्वारा व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक पथ पर भी बड़ी सहजता से आगे बढ़ता है। श्रीजी द्वारा प्रदत्त इस प्रक्रिया के द्वारा अनेकों समर्पित साधकों को बड़ा ही भारी लाभ हुआ है। साथ ही समय-समय पर दरिद्र नारायण की सेवा, युवा जागृति और नारी सशक्तिकरण जैसे कामों द्वारा समाज के उत्थान का कार्य भी बड़े जोरों से हो रहा है। श्रीजी का मानना है कि वही समाज और राष्ट्र प्रगति कर सकता है जहां नारी सुरक्षित और सशक्त हो तथा युवा अपने कर्तव्यों के प्रति जागृत हो। इस करोना काल के संकट में भी श्रीजी तथा श्री साईं दरबार के सभी सदस्यों द्वारा निरंतर विश्व कल्याण के लिए शांति प्रार्थना तथा अन्य सेवायें की जा रही हैं फिर चाहे वह व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से श्री साईं-सच्चरित्र का परायण कराना हो, नारी सशक्तिकरण में बच्चियों के लिए आत्मरक्षा की ट्रेनिंग हो अथवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु छोटे-छोटे ही सही परंतु विशेष प्रयास किये जा रहे हों।
वास्तव में गुरुपूर्णिमा ऐसे महापुरुषों के प्रति अपना आभार व्यक्त करने के लिए हम सबको मिला एक अनमोल अवसर है। अपने तथा अपनों के लिए जीने वाले तो अनेक हैं परंतु जो पूरे समग्र विश्व को अपना परिवार माने और उसके कल्याण की चिंता करें ऐसा पुरुष वास्तव में देवदूत ही है।
श्री साई आदित्य “श्रीजी” तथा श्री साई शक्ति दरबार, लखनऊ के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी के लिये निम्न नम्बरों 9451072933, 8840047771 तथा 09621407247 पर सम्पर्क कर सकते हैं।