नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे पर हालात बेहद गंभीर होते जा रहे हैं। चीन के पश्चिमी थिएटर कमांड ने आरोप लगाया है कि 7 सितंबर को उसके सैनिक बातचीत के लिए गए थे और वहां उन पर भारतीय सैनिकों ने गोलीबारी की। चीन का आरोप अगर सच है तो करीब 45 साल बाद यह पहला मौका है जब दोनों ही देशों के बीच गोली चली है। उधर, भारतीय सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिक मुखपारी चोटी पर कब्जा करने के लिए गलवान जैसी हिंसा दोहराना चाहते थे और भारतीय सैनिकों को बचाव में हवा में गोली चलानी पड़ी।
चीन के सरकारी प्रोपैगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता के हवाले से पैंगोग सो के पास झड़प का दावा किया है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ’भारतीय सेना ने पैंगोंग सो झील के दक्षिणी छोर के पास शेनपाओ की पहाड़ी पर एलएसी को पार किया। भारतीय जवानों ने बातचीत की कोशिश कर रहे पीएलए के बॉर्डर पट्रोल से जुड़े सैनिकों पर वार्निंग शॉट फायर किए जिसके बाद चीनी सैनिकों को हालात काबू में करने के लिए कदम उठाने पड़े।’
उधर, भारतीय सूत्रों का कहना है कि पीएलए के सैनिक गलवान जैसी हिंसा को दोहराने के फिराक में थे। हथियारों से लैस चीनी सैनिक शेनापाओध्गॉड पाओ पहाड़ी की तरफ बढ़े। यह चोटी थाकुंग और स्पांगुर गैप के बीच में स्थित है। भारतीय सेना ने चीन की नापाक हरकतों का जवाब देने के लिए 29-30 अगस्त को इसी इलाके में जोरदार कार्रवाई करते हुए सभी प्रमुख चोटियों पर कब्जा कर लिया था। चीनी सैनिकों को लग रहा था कि वे गलवान की तरह से भारतीय सैनिकों पर हमला करेंगे और चूंकि दोनों देशों के बीच गोली नहीं चलाने का समझौता हुआ है, इसलिए भारतीय सैनिक गोली नहीं चलाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक 7 सितंबर को लोहे की रॉड और कटीले डंडे लेकर मुखपारी चोटी पर कब्जे के लिए आगे की ओर बढ़े लेकिन भारतीयों ने उन्हें रोक दिया। कई बार चेतावनी के बाद जब चीनी सैनिक दादागिरी पर उतारू हो गए तो भारतीय सैनिकों को मजबूरन हवा में गोली चलाकर उन्हें भगाना पड़ा। भारतीय सैनिकों ने ऐसे गोली चलाई ताकि चीन के किसी सैनिक को नुकसान नहीं पहुंचे। बता दें कि गलवान हिंसा के बाद भारत सरकार ने आत्मरक्षा के लिए भारतीय सैनिकों को गोली चलाने का अधिकार दिया था। -वेब
45 साल बाद चीनी सीमा पर चली गोली

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