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कोरोना संक्रमण पर विशेषज्ञों की राय

नई दिल्ली। कोरोना पर सरकार के साथ साथ चिकित्सा जगत के दिग्गज नए संकट पर लगातार मंथन कर रहे हैं। नीति आयोग ने चिकित्सा जगत के मशहूर विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया। वीडियो कांफ्रेस के जरिए हुई चर्चा में विशेषज्ञों ने महामारी से निपटने को लेकर अपने अपने विचार साझा किए। विशेषज्ञों ने कहा कि बीमारी के लक्षण नजर आने पर संक्रमण की मुकम्मल पहचान के लिए आरटी-पीसीआर जांच के अलावा सीटी स्कैन या छाती का एक्सरे भी कराया जाना चाहिए ताकि समय रहते इलाज शुरू हो सके।
विशेषज्ञों ने कहा कि करीब 80 फीसद मामलों में आरटी-पीसीआर जांच से कोरोना संक्रमण का पता चल जा रहा है लेकिन जिन लक्षण वाले रोगियों की रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं हो रही है उनका सीटी स्कैन या छाती का एक्सरे भी कराना चाहिए। यही नहीं पहली जांच रिपोर्ट के निगेटिव आने के 24 घंटे बाद दोबारा जांच कराई जानी चाहिए ताकि समय रहते इलाज शुरू किया जा सके।
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कई चैंकाने वाली जानकारियां सामने रखीं। उन्होंने कहा कि कोरोना प्रबंधन के एक साल के दौरान हमने देखा है कि दो चीजें सबसे महत्वपूर्ण हैं- दवाएं और उनका समय रहते इस्तेमाल… यदि आप तुरंत जांच कराते हैं और संक्रमण की पुष्टि होते ही समय रहते इलाज शुरू कर देते हैं तो इससे जोखिम कम हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक ही दिन दवाओं का कॉकटेल दे देना (ज्यादा दवाएं) मरीज को मार सकता है।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह समझना होगा कि रेमेडिसवीर जादू की गोली नहीं है… ना ही यह मृत्यु दर घटने वाली दवा है। हम इसका इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास एक भी एंटी-वायरल दवा नहीं है। हल्के लक्षणों वाले लोगों को समय से पहले दिए जाने पर इसका कोई फायदा नहीं है। हमे यह भी ध्यान रखना होगा कि यदि इसे बहुत देर से दिया जाता है तो भी इसका फायदा नहीं है।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह दवा केवल उन रोगियों को दी जानी चाहिए जो अस्पताल में भर्ती हैं और जिनमें ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया है जिनमें वायरस फेफड़े तक पहुंच गया है और जिसकी पहचान एक्स-रे या सीटी-स्कैन में हो गई है। डॉ. गुलेरिया ने यह भी कहा कि स्टेरॉयड पहले दिन जरूरी नहीं है। यह केवल गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए उपयोगी है जब उनका ऑक्सीजन स्तर गिर रहा हो।
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि रिकवरी ट्रायल से पता चला कि स्टेरॉयड से लाभ होगा लेकिन तब जब इसे सटीक समय पर दिया गया हो। यदि यह ऑक्सीजन का स्तर गिरने से पहले जल्द दे दिया जाता है तो इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है। कोरोना रोगियों जिन्हें जल्द स्टेरॉयड दिए गए उनमें मृत्यु दर ज्यादा देखी गई।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने यह भी कहा कि यदि नमूना ठीक से नहीं लिया गया है या फिर जांच समय पहले ही कर ली गई है जब तक संक्रमण अधिक नहीं फैला हो तो रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होगी। इसलिए संक्रमण के लक्षण हैं तो कोरोना जांच के लिए प्रयोगशाला की रिपोर्ट के साथ साथ सीटी चेस्ट एक्स-रे भी किया जाना चाहिए। यदि पहली रिपोर्ट में संक्रमण नहीं निकलता है तो 24 घंटे बाद फिर से जांच करानी चाहिए। – वेब