लखनऊ। बंथरा जुनाब गंज, लखनऊ स्थित प्रसाद हॉस्पीटल में वार्ड व्वाय से लेकर डॉक्टर मोहसिन, इंचार्ज विपिन यादव तक सभी मरीज से लूटखसोट में लिप्त हैं उनको मरीज से कोई लेना देना नहीं उनको सिर्फ और सिर्फ अपने कमीशन से मतलब है। मरीज जीवित है नहीं है उनको इसकी भी कोई परवाह नहीं है।
दिनांक 4 अप्रैल को राजाजीपुरम निवासी मुरली मनोहर कपूर व उनके पुत्र अजय कपूर का कोविड टेस्ट कराया जाता है रिपोर्ट आने तक मुरली मनोहर कपूर को लखनऊ के गैलेक्सी हॉस्पीटल में भर्ती कराया जाता है जहां पर उनसे प्रतिदिन रूपये 13000 के हिसाब से बेड दिया जाता है और मात्र दो दिन के अंदर ही 70 हजार से 75 हजार का बिल तैयार कर दिया जाता है और जैसे ही रिपोर्ट पॉजिटिव आती है उनको कोविड अस्पताल ले जाने कि सलाह देकर डिस्चार्ज कर दिया जाता है। दुर्भाग्यवश मुरलीमनोहर कपूर को कोविड हॉस्पीटल ले जाते वक्त रास्ते में ही दिनांक 6 अप्रैल को उनकी सांसे थम जाती हैं उनको शमशान घाट ले जाया जाता है। एंमबुलेंस वाला 15000 रू का बिल बनाता है। चौक स्थित गुल्लाला शमशान घाट पर सातवां नम्बर 7 घंटे बाद आता है।
मानवता को तार-तार करता हुआ स्वार्थी इंसान यहीं पर शांत नहीं हुआ उसने मुरली मनोहर के पुत्र अजय कपूर को भी नहीं छोड़ा उसी दिन दिनांक 6 अप्रैल को अजय कपूर को बंथरा जुनाब गंज, लखनऊ स्थित प्रसाद हॉस्पीटल में एडमिट करवाया जहां पहुंचते ही डॉक्टर ने कहा कि इनके 80 प्रतिशत फेफड़े खराब हो गये हैं इनको यहां से ले जाइये इनकी एल 3 स्टेज है, वे जानते थे कि इनको कहीं पर भी एडमिट नहीं किया जायेगा क्योंकि कहीं कोई बेड नहीं है इसका इन्होंने भरपूर फायदा उठाया। प्रतिदिन करीब 3 रेमडिसीवर इंजेक्शन लिखकर दिए जाने लगे जो कि बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं थे और उसकी कीमत तीन गुना ज्यादा चुकानी पड़ रही थी एक इंजेक्शन 12000 हजार रूपये में खरीदा गया। इंतहां तो तब हो गई जब तीन इंजेक्शन दिए गये और वहीं के कर्मचारी ने तीनों इंजेक्शन चोरी कर लिए और फिर से इंजेक्शन खरीद कर देने पड़े। शुरूआत में डॉक्टर मोहसिन ने स्वंय 10000 रूपये लेकर रेमडिसीवर इंजेक्शन मरीज की पत्नी को दिया। कोविड वार्ड में मरीज के रिश्तेदार न रूक सकते हैं और न जा सकते हैं इसी का वे फायदा उठाते रहे। वहीं के इंचार्ज विपिन यादव ने आक्सीजन के लिए प्रतिदिन 3000 रूपये की डिमांड की जिसके शिकायत करने पर वह आगबबूला हो गया। यहां तक कि चपरासी साफ सफाई व बेड शीट बदलने के प्रतिदिन 300 रू लेता था। प्रतिदिन ढेरों दवाइयां डॉक्टर लिख कर देते थे जिसमें कि 3 रेमडिसीवर इंजक्शन होते थे। कुछ दवाइयां दी जाती थीं और एक इंजक्शन लगाया जाता था बाकी सब दवाइयां और इंजेक्शन गायब कर दिए जाते थे। जिसमें डॉक्टर से लेकर चपरासी, नर्स तक सब शामिल थे।
डॉक्टर मोहसिन, विपिन यादव व अन्य उनके रिश्तेदारों से कोई भी उनका सहयोग नहीं कर रहा था और हर 3 दिन बाद उनसे कहा जाता था कि अपने मरीज को लेकर यहां से चले जाओ हम इनका इलाज नहीं कर सकते। इसकी शिकायत सीएमओ कंट्रोल रूम में भी की गई कि वे ठीक से इलाज नहीं कर रहे हैं हमको दूसरा सरकारी या निजी हॉस्पीटल दिया जाये लेकिन हर बार वे यही कहते कि आप इंतजार करिए हम कोशिश कर रहे है। एक दिन वो भी आया जब अजय कपूर की भी सांसे थम गईं किसी ने न उसकी सुनी और न ही उसकी पत्नी की सुनी। पूछने पर उसकी पत्नी को नर्स ने बताया गया कि अजय कपूर ठीक हैं जबकि उसकी सांसे थम चुकी थीं उनसे दवाइयां और 3 रेमडिसीवर इंजक्शन मंगवाये गये। उसके बाद काफी प्रेशर देने के बाद डॉक्टर वेदप्रकाश ने बताया कि वे अब इस दुनिया में नहीं रहे। यहां पर रूपये 5000 प्रतिदिन के हिसाब से करीब 55 से 60 हजार रूपये तक का बिल बनाया गया। वहीं बड़ी जद्दोजहद के बाद चौक गुल्लाला घाट शमशान घाट तक ले जाने के लिए 15000 रूपये देने पड़े।
इस पूरे खेल में एक बात तो साफ हो गई कि किसी को मरीज से मतलब नहीं था सब काली कमाई में लिप्त थे। वे तब तक जांक की तरह मरीज का खून पीते रहे जबतक कि उसका अंत समय नहीं आ गया। – बीएसएन संवाददाता
दलाली में लिप्त प्रसाद हॉस्पीटल में मौतों का सिलसिला जारी
