लखनऊ । एक बुजुर्ग ने रुपयों की बचतकर आकस्मिक जरूरत और इलाज के लिए डाकखाने में रिकरिंग डिपाजिट (आरडी) खुलवाई। किसी कारण वश आरडी मेच्योर होने पर वह तोड़वाने नहीं पहुंच सके। कोरोना काल में जब अपने और पत्नी के इलाज के लिए रुपयों की जरूरत पड़ी तो वह पोस्ट आफिस पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्हें पता चला कि मेच्योरिटी तिथि के बाद पांच वर्ष पहले ही किसी ने उनकी आरडी तोड़वा ली है। यह पता चलते ही उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। बेचारे लडखड़ाते कदमों से जब वह पोस्टमास्टर के पास पहुंचे और इसकी शिकायत की तो उल्टा उन्हें ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया। इतना ही नहीं पोस्टमास्टर ने जालसाजी में उन्हें जेल भेजवाने तक की धमकी दे डाली। मामला जानकीपुरम क्षेत्र के सेक्टर एच निवासी बुजुर्ग राम प्रताप तिवारी का है।
राम प्रताप ने बताया कि जानकीपुरम सेक्टर एच स्थित डाकखाने में उन्होंने दो नवंबर 2010 में पत्नी उमावती के नाम से आरडी खुलवाई थी। वह प्रति माह 1600 रुपये माह जमा करते थे। 27 जून 2016 को उनकी आरडी मेच्योर हो गई। तब उन्होंने सोचा कि रुपये पड़े रहने दो जरूरत पडने पर निकालेंगे। उस दौरान कुछ पारिवारिक कारणों से भी वह पोस्ट आफिस नहीं जा सके। पत्नी को गठिया की दिक्कत है वह चल नहीं सकती हैं। रामप्रताप ने बताया कि वह खुद शुगर सहित कई बीमारियों से परेशान हैं। ऐसे में कोरोना काल के दौरान जब उन्हें इलाज के लिए रुपयों की जरूरत पड़ी तो वह पोस्ट आफिस पहुंचे। यहां जब उन्होंने जानकारी ली तो कैश काउंटर पर बैठी महिला अधिकारी और एक अन्य बाबू ने उनसे कहा कि आरडी को तुमने कैश करा लिया है। तुम्हारी पत्नी के नाम से जो दूसरा खाता है उसमें रुपये ट्रांसफर हुए हैं। इस पर पीड़ित ने कहा कि उनकी पत्नी का कोई दूसरा खाता नहीं है। पासबुक के बिना आरडी नहीं टूटती है जो कि मेरे पास है। तो कैसे आरडी टूट सकती है।
हताश रामप्रताप ने कहा कि साहब इलाज के लिए रुपयों की बहुत आवश्यकता है। कृपया दोबारा जांच लें और मेरी सहायता करें। इतना ही नहीं जब वह पोस्टमास्टर के पास पहुंचे तो उन्होंने भी धमकी दे डाली। इसके बाद वह हताश होकर घर चले गए। इसके बाद रामप्रताप ने न्यू हैदराबाद कालोनी स्थित सुपरीटेंडेंट को शिकायती पत्र देकर जांच की मांग की। रामप्रताप ने बताया की मामले की सही से जांच हो तो कई अन्य लोगों की भी आरडी डाकखाना कर्मियों की मदद से कैश कराने के मामले प्रकाश में आएंगे। -वेब