लखनऊ

नगर निगमः साल भर का बजट तीन महीने में खत्म

लखनऊ। सू़त्रों के अनुसार नगर निगम का बजट साल भर के हिसाब से बनाया गया था लेकिन वाहनों की मरम्मत व पुर्जों की खरीद का बजट तीन माह में ही खत्म कर दिया गया। यह बजट भी सोलह करोड़ का था। यह कारनामा नगर निगम में कार्यशाला (आरआर, जहां वाहनों की मरम्मत होती है) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने किया है। अब शेष बची मामूली रकम से साल भर कैसे काम होगा ? यह सवाल अब नगर निगम में चर्चा का विषय है। जांच के घेरे में नगर निगम में आरआर विभाग को देख रहे अधिकारियों से लेकर स्टोर का काम देख रहा लिपिक भी है। पिछले सालों में भी महंगी दरों पर पुर्जों को खरीदने का मामला सामने आया था लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने खुद की गर्दन बचाते हुए दूसरों पर ही ठीकरा फोड़ दिया था, जबकि खरीदारी से लेकर भुगतान तक में अधिकारियों की भी भूमिका अहम रही थी।
वैसे तो बजट में 23 करोड़ से पुर्जे खरीदने और वाहनों की मरम्मत करने का प्रावधान किया गया था लेकिन, बाद में उसे घटाकर 16 करोड़ कर दिया गया था। अप्रैल में ही आठ करोड़ से अधिक रकम पुर्जे खरीदने और वाहनों की मरम्मत में खर्च कर दी गई थी। जून में यह रकम 15 करोड़ से अधिक हो गई थी। इसर्मं पुर्जे और बैटरी के साथ ही टायर तक खरीदे जाते हैं।
नगर निगम के पास करीब एक हजार वाहन हैं, जिसमें से 600 से अधिक वाहन कूड़ा उठाने से लेकर नालों की सफाई व अन्य कार्य में उपयोग होते हैं। चालकों का भी कहना है कि एक तरफ नगर निगम वाहनों की मरम्मत व पुर्जों की खरीद में इतना खर्च दिखा रहा है तो दूसरी ओर पुराने वाहनों की दशा किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में अगर आगे वाहनों में खराबी आई तो उसकी मरम्मत व पुर्जों की खरीद न होने से कूड़ा उठाने से लेकर नाला सफाई में परेशानी होगी। -वेब

Advertisement

Advertisement

Advertisement