तहरीक-ए-तालिबान अफगानिस्तान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने दो टूक कहा है कि पाकिस्तान संगठन पर तानाशाही नहीं चला सकता और न ही अपने विचार थोप सकता है। वहीं, शाहीन ने भारत से इस मामले में निष्पक्ष रहने की अपेक्षा जताई है और अफगानिस्तान के लोगों का साथ देने की अपील की है, न कि ‘किसी थोपी हुई सरकार का।’
पाकिस्तान के जियोन्यूज को दिए इंटरव्यू के दौरान शाहीन से उन रिपोर्ट्स के बारे में पूछा गया था जिनके मुताबिक तालिबान पाकिस्तान की नहीं सुनना चाहता। इस पर शाहीन ने कहा, ‘हम भाईचारे का रिश्ता चाहते हैं। वे शांति प्रक्रिया में हमारी मदद कर सकते हैं लेकिन हम पर तानाशाही नहीं चला सकते और न विचार थोप सकते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के खिलाफ है।’
उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने को लेकर भी कहा कि इस्लामिक एमिरेट की एक ही नीति है कि अफगानिस्तान की मिट्टी का इस्तेमाल किसी शख्स या संगठन को नहीं करने दिया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि कुछ दिन पहले ही अफगानिस्तान के राष्ट्रति अशरफ गनी ने तालिबान से वादा करने को कहा था कि पाकिस्तान के साथ विवादित डूरंड लाइन को नहीं माना जाएगा।
गनी ने सवाल किया था कि तालिबान की जंग देश के लिए है या किसी बाहरी के कहने पर चल रही है। यही नहीं, हालिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि तालिबान पाकिस्तान के आतंकियों के साथ मिलकर अफगानिस्तान में जंग लड़ रहा है। इसके मुताबिक पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियां तालिबान के साथ अफगानिस्तान में सक्रिय भी हैं और पाकिस्तान के अंदर उसे ट्रेनिंग भी दे रही हैं। -वेब
अफगानिस्तान में मनमानी का ख्वाब देख रहे पाकिस्तान को करारा झटका
