चीन खिसियाहट में भारत को परेशान करने के नए तरीकों को भी आजमाने लगा है। वैसे भी, चीन की प्रॉपगैंडा मशीनरी ने अक्टूबर 2020 में ही चेतावनी दी थी कि भारत ने अगर ताइवान के साथ व्यापार समझौता किया तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। चीनी ने विभिन्न माध्यमों से यह धमकी दिलाई कि ताइवान के साथ ट्रेड पैक्ट के नतीजे में भारत को अपने उत्तर-पूर्वी राज्यों में अलगाववादी आंदोलनों के उभार का सामना करना पड़ेगा। साथ ही कहा गया कि चीन सिक्किम को भारत का हिस्सा मानना बंद कर देगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने अंग्रेजी अखबार द हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, ’इसका संदेह है कि चीन उत्तरपूर्व में उग्रवाद को बढ़ावा दे रहा है। मणिपुर समेत उत्तरपूर्व के तमाम राज्यों में उग्रवादी समूह का म्यांमार की अरकान आर्मी और यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी जैसे सशस्त्र संगठनों के साथ संपर्क है और वहीं से चीनी हथियार उत्तरपूर्वी राज्यों में आ रहे हैं।’
अखबार ने एक अन्य अधिकारी के हवाले से लिखा कि चीन ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के कमांडर परेश बरुआ और नैशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (आईएम) के फुंतिंग शिमरंग समेत उग्रवादी संगठनों के कई नेताओं को पनाह दे रखी है। ये सभी म्यांमार सीमा के पार युन्नान प्रांत स्थित रुइली में रह रहे हैं। यह उसी रणनीति का अनुकरण हो सकता है जिसके तहत पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देता रहा है। अगर यह सच है तो अपनी पश्चिमी सीमा से चुनौतियों का सामना कर रहे भारत के लिए पूर्वी सीमा पर भी नया मोर्चा खुल जाएगा।
46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी और बच्चे समेत 6 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले प्रतिबंधित संगठन पीपल्स लिबरेशन आर्मी के तार चीनी सेना से जुड़े हुए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) शौकीन चैहान ने भी अंग्रेजी अखबार से कहा कि चीन ने एलएसी पर मुंह की खाने के बाद पीएलए मणिपुर और अन्य समान सोच वाले उग्रवादी समूहों को उकसाना शुरू किया हो, इसकी पूरी गुंजाइश है। चैहान ने 2017-18 में असम राइफल्स का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा, श्चीन ने उत्तरपूर्व में उपद्रव मचाने और सुरक्षा बलों पर दबाव बनाने के लिए ऐसा किया होगा।
मणिपुर में अचानक हुए हमले के पीछे चीन का हाथ होने की आशंका इसलिए भी प्रबल है क्योंकि आर्मी ने उत्तरपूर्व की सुरक्षा दुरुस्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस कारण, वहां से सैनिकों की सुनियोजित और क्रमिक वापसी हो रही है। ऐसे में संभव है कि चीन ने वहां बड़ी घटना को अंजाम दिलाकर सैनिकों को वहां इंगेज रखने की साजिश रची हो। -वेब
मंसूबा नाकाम होने पर चीन परेशान कर रहा भारत को
